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सत्तर के दशक में रियल मैड्रिड का घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्चस्व जारी रहा। जहां रियल मैड्रिड ने पहले पेड्रो फर्नांडेज के साथ और फिर लोलो सैंज के साथ हर सीज़न में सफलता हासिल की। इसके साथ ही टीम ने एक और तीन यूरोपियन चैंपियनशिप कप हासिल किया। इससे क्लब ने स्पेनिश राजधानी से महाद्वीप पर अपने आपको एक बेहतरीन क्लब के तौर पर साबित किया।
सत्तर के दशक में रियल मैड्रिड ने स्पेनिश बास्केटबॉल पर अपना दबदबा कायम किया। टीम में हुए बदलाव ने परिणामों को बिल्कुल नहीं प्रभावित किया। इस दौरान सेविलानो, एमिलियानो और लुइक जैसे दिग्गज खिलाड़ी रिटायर्ड हो गए। इसके साथ ही क्लब में हमेशा की तरह और भी महान खिलाड़ी आए।
टीम के प्रबंधन के बारे में भी यही सच था। 1975 में नेशनल लीग और कोपा डी एस्पाना जीतने के बाद पेड्रो फर्नांडेज को खेल निर्देशक के पद पर नियुक्ति किया गया और लोलो सैंज को एक सहायक के तौर पर नियुक्ति किया गया। टीम की जीतने की मानसिकता पूर्व मैड्रिड पॉइंट गार्ड खिलाड़ी के साथ जारी रही। फिलहाल सैंज 1988-89 सीज़न के आखिरी तक अपने पद पर बने रहे।
रियल मैड्रिड के लिए साठ का दशक काफी सफल रहा जबकि वह सत्तर के दशक में भी पीछे नहीं रहे। साल 1970 और 1975 के बीच रियल मैड्रिड ने नेशनल लीग और स्पेनिश कप के सभी संस्करण को अपने नाम किया। वहीं, 1972 और 1974 के बीच वे लीग में 88 मैचों में अपराजेय रहे थे। इसके साथ ही आगे रियल मैड्रिड को जीत की इस लय को बरकरार रखने के लिए बेहतरीन खिलाड़ियों की जरूरत थी, जो या तो उन्हें छोड़ दिए थे या फिर रिटायर्ड हुए (1973 में एमिलियानो) थे। हालांकि इस दौरान न कि अमेरिकी खिलाड़ी बल्कि एकेडमी से नए प्रतिभावान खिलाड़ियों की जरूरत थी, जैसे कि राफा रुल्लन और कार्मेलो काबरेरा की तरह। वहीं, साल 1971 में एक बेहतरीन खिलाड़ी जुआन एंटोनियो कोरबालान प्वाइंट गार्ड के रूप में आए। इसके साथ ही 1974 में यूरोपीय कप फाइनल के आखिरी मिनटों में जब काबरेरा अपने विश्वास से डगमगाए तो फर्नांडेज ने इस 19 साल के खिलाड़ी के आत्मविश्वास को बढ़ाया। इसी के साथ मैड्रिड ने यह मुकाबला अपने नाम किया और कोरबालान स्पेनिश बास्केटबॉल के एक बेहतरीन खिलाड़ी के तौर पर सामने आए।
सत्तर के दशक के अजेय रियल मैड्रिड टीम को यूरोप में अपने दर्जे के बराबर की एक प्रतिद्वंद्वी टीम मिली। यह इटली की वारिसे टीम थी, जिसके पास अच्छी रैंक में बेहतरीन खिलाड़ी डिनो मेनेगिन थे। जिन्होंने कई बार अपनी टीम से खेलते हुए मैड्रिड के साथ कई शानदार मैच भी खेले। इस दशक में उन्होंने यूरोपियन कप के फाइनल में चार बार खेला। जहां दोनों टीमों ने दो-दो मुकाबले अपने नाम किए थे। जिनमें से आखिरी मुकाबला 1978 में म्यूनिख में हुआ। इसके साथ ही उन्होंने पांच महाद्वीपीय खिताबों में हिस्सा लिया। वहीं, एक कड़े मुकाबले में रियल मैड्रिड ने शानदार जीत हासिल की और उन्होंने यूरोप की तरफ से ख़िताब भी हासिल किया। हालांकि इस दौरान वारिसे पांचवें स्थान पर रही, जबकि रियल मैड्रिड की संख्या लगातार बढ़ती रही। वहीं, 1980 में मैड्रिड ने अपना सातवां यूरोपियन कप का खिताब जीता और इसी के साथ टीम ने फुटबॉल टीम के खिताबों की संख्या को मात दी।